3 साल में आने वाली ये जड़ी बूटी, जिसके सेवन से 80 की उम्र में भी हड्डियों में रहेगी ताकत, डाइट में करे शामिल, जाने इस अनोखी जड़ी बूटी का नाम।
3 साल में आने वाली ये जड़ी बूटी
दोस्तों आज आपके लिए एक ऐसी जड़ी बूटी की बात कर रहे है जो की आपको कई तरह तरह की बीमारी को ठीक करने में मदद करती है। इस जड़ी बूटी के कई तरह के फायदे है पर इस जड़ी बूटी की सबसे खास बात है की 3 साल में एक बार आती है। इस जड़ी बूटी को कई लोग जानते भी है पर कई लोग इस इस जड़ी बूटी के बारे में नहीं जानते है पर आज आपको इस जड़ी बूटी के बारे में हम आपको पूरी डिटेल देने वाले हैं इस जड़ी बूटी के सेवन से जैसे आपको कई तरह के फायदे तो मिलते हैं तो चलिए जानते हैं किस-किस तरीके के फायदे मिलते हैं जड़ी बूटी से। इस जड़ी बूटी का नाम एकोनिटम हेटरोफिलम है।
कैसे की जाती है खेती एकोनिटम हेटरोफिलम
इस जड़ी बूटी की खेती करने के लिए आपको सबसे पहले जड़ी बूटी की संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। इस जड़ी बूटी की खेती करने के लिए आपको समुद्र तल से 2 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर नम मिट्टी में उगाया जाता है इस पौधे की खेती के लिए बारिश की जरूरत होती है और बारिश के मौसम में ही इस जड़ी बूटी की खेती की जाती है इस जड़ी बूटी की खेती करने के लिए आपको बीज और कंदों मूल्य से ही उगाया जाता है मार्च से अप्रैल के बीच में लगा दिया जाता है। इसको लगाने के बाद करीबन 3 से 4 साल समय लगता है।
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जाने एकोनिटम हेटरोफिलम इस जड़ी बूटी के लाभ
इस एकोनिटम हेटरोफिलम इस जड़ी बूटी के कई तरह के फायदे देखने को मिलेंगे जैसे की हिस्टीरिया, गले के संक्रमण, अपच, पेट दर्द, मधुमेह, दस्त, बुखार, मलेरिया बुखार, खांसी, सर्दी, बवासीर, सिरदर्द. इसके अलावा, यह अत्यधिक मासिक धर्म प्रवाह को भी नियंत्रित करता है. इसके पत्तों का इस्तेमाल दांत दर्द को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। एकोनिटम हेटरोफ़िलम में कई और गुण भी होते हैं, एकोनिटम हेटरोफ़िलम की जड़ों के इथेनॉल अर्क में एल्कलॉइड, स्टेरॉयड, सैपोनिन, ग्लाइकोसाइड, और फ़ेनोलिक यौगिक होते हैं। हालांकि, इस दवा में घातक कार्डियोटॉक्सिक और न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव हो सकते हैं। चलिए जानते है कैसे करते है इस्तेमाल।
एकोनिटम हेटरोफिलम कैसे किया जाये इस्तेमाल
भारतीय अतीक मुख्य रूप से मलेरिया की स्थिति और तीव्र श्वसन गड़बड़ी सहित बुखार के उपचार में उपयोग किया जाता है। मलेरिया के लिए बाकी घरेलू उपचारों के अलावा, इस जड़ी बूटी को मलेरिया के इलाज के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपाय माना जाता है। इस जड़ी बूटी को आप रात में सोते समय इस्तेमाल कर सकते है दूध में मिलाकर ,और सुबह उड़ कर खाली पेट भी इस जड़ी बूटी का सेवन कर सकते है। इस जड़ी बूटी का पाऊडर भी बना कर आप अपने हिसाब से भी सेवन कर सकते है।
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