दुनिया का सबसे तगड़ा, जिसकी खेती से होगा बंफर प्रॉफिट, जानिए पूरी जानकारी

By Soumya thakur

Published On:

Follow Us
दुनिया का सबसे तगड़ा, जिसकी खेती से होगा बंफर प्रॉफिट, जानिए पूरी जानकारी

दुनिया का सबसे तगड़ा, जिसकी खेती से होगा बंफर प्रॉफिट, जानिए पूरी जानकारी।

आज जिस फल की बात कर रहे है वह दुनिया का सबसे शानदार और ताकतवर फल है। माजूफल (Gallnut) जिसे कई जगहों पर “ओक गॉल्स” या “Gall of Quercus infectoria” के नाम से जाना जाता है, का उपयोग पारंपरिक औषधीय उपचारों, रंग निर्माण, चमड़ा टैनिंग, और विभिन्न अन्य उद्योगों में किया जाता है। इसकी खेती को औषधीय और औद्योगिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। माजूफल मुख्य रूप से ओक पेड़ों के कारण बनने वाले गॉल्स हैं, जो पेड़ के पत्तों और टहनियों पर कीटों या कवकों द्वारा बनते हैं। इसके फलों का रंग काला या भूरा होता है और ये कठोर होते हैं।

इस फल के फायदे

  • मधुमेह के उपचार में माजूफल में गैलिक एसिड पाया जाता है. …
  • योनि की कसावट में प्रसव के पश्चात चाहें तो महिलाएं योनी तो टाईट करने के लिए माजूफल का सहारा ले सकती हैं. …
  • घावों के उपचार में
  • आँखों के लिए
  • माउथ अल्सर के लिए
  • बच्चों के लिए
  • माउथ वाश के लिए
  • कैंसर से बचाव में

खेती कैसे करते है

माजूफल के पेड़ के लिए उपयुक्त मिट्टी दोमट, बलुई और पहाड़ी क्षेत्रों की मिट्टी है। मिट्टी की जल धारण क्षमता अच्छी होनी चाहिए और इसका पीएच मान 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। यह पेड़ शीतोष्ण और पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर रूप से उगता है। 10°C से 25°C के तापमान वाले क्षेत्रों में माजूफल के पेड़ की वृद्धि अच्छी होती है। ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र इसके लिए आदर्श होते हैं। माजूफल के बीज या पौधों को चुनते समय, सुनिश्चित करें कि वे उच्च गुणवत्ता वाले और रोग-रहित हों। आमतौर पर ओक पेड़ों से इनका बीज प्राप्त किया जाता है। माजूफल की पौध नर्सरी में तैयार की जाती है। बीजों को नर्सरी में बोकर लगभग 6-12 महीने तक पौध तैयार की जाती है। जब पौध 25-30 सेमी ऊँची हो जाती है, तब इसे खेत में स्थानांतरित किया जा सकता है। माजूफल के पेड़ों की रोपाई का सबसे अच्छा समय मानसून (जुलाई-अगस्त) का होता है, क्योंकि इस समय पर्याप्त नमी होती है जो पौधे की अच्छी बढ़वार में मदद करती है। पौधों को 5-6 मीटर की दूरी पर रोपित किया जाता है, ताकि पेड़ को फैलने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके। रोपाई के समय जैविक खाद (गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट) का उपयोग करें। इससे पौधे की वृद्धि अच्छी होगी और उपज बढ़ेगी। माजूफल के पौधे को प्रारंभिक वर्ष में नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेषकर गर्मियों के मौसम में। इसके बाद, इसे बहुत कम सिंचाई की जरूरत होती है। माजूफल को तब काटा जाता है जब यह पूरी तरह पक चुका होता है और उसका रंग काला या भूरा हो जाता है। गॉल्स को सावधानीपूर्वक काटा जाता है ताकि पेड़ को कोई नुकसान न पहुंचे।

कमाई कितनी होगी

माजूफल (Gallnut) की खेती से होने वाली कमाई कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि पेड़ों की संख्या, प्रति पेड़ उत्पादन, फलों की गुणवत्ता, और बाजार में इसकी मांग और कीमत। आइए एक अनुमानित गणना के आधार पर माजूफल की खेती से होने वाली कमाई का विवरण देखते हैं। एक हेक्टेयर भूमि में लगभग 300-400 ओक के पेड़ लगाए जा सकते हैं, जिन पर माजूफल का उत्पादन होता है। एक परिपक्व पेड़ से प्रति वर्ष औसतन 1-3 किलोग्राम माजूफल का उत्पादन हो सकता है, पेड़ की उम्र और देखभाल के अनुसार उत्पादन अलग-अलग हो सकता है। यदि एक हेक्टेयर में 300 पेड़ हैं और प्रत्येक पेड़ से औसतन 2 किलोग्राम माजूफल का उत्पादन होता है, तो कुल उत्पादन प्रति हेक्टेयर लगभग 600 किलोग्राम होगा। माजूफल की कीमत गुणवत्ता और बाजार की मांग के आधार पर 100-300 रुपये प्रति किलो के बीच हो सकती है। व् माजूफल की खेती में प्रारंभिक लागत कम होती है, लेकिन एक बार जब पेड़ फल देना शुरू कर देते हैं, तो यह एक स्थायी और लंबे समय तक चलने वाली आय का स्रोत बन सकता है।

यह भी पढ़े आयरन का खजाना ये फसल, पैसा का भंडार, इस फसल को अपना कर घर को बना दे महल, पढ़िए पूरी प्रोसेस

Leave a Comment