शौक में लगाए कीवी के पौधे, आज बन गया फलों का बगीचा साथ-साथ हो रही है तगड़ी आमदनी, जाने कैसे

By Soumya thakur

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शौक में लगाए कीवी के पौधे, आज बन गया फलों का बगीचा साथ-साथ हो रही है तगड़ी आमदनी, जाने कैसे

शौक में लगाए कीवी के पौधे, आज बन गया फलों का बगीचा साथ-साथ हो रही है तगड़ी आमदनी, जाने कैसे।

नमस्ते दोस्तों आज के आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हो उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में लोग अब फलों के उत्पादन पर भी सबसे ज्यादा ध्यान दे रहे हैं शहरों में पहाड़ी फलों की अच्छी क्योंकि डिमांड मिलती है और सबसे ज्यादा लोग पहाड़ी फल खाना पसंद भी करते हैं बागेश्वर जिले में स्थिर कांड निकासी शिक्षा देवेंद्र कुमार ने की भी उत्पादन में अपना हाथ जमाया उनका यह प्रयास सफल रहा और वर्तमान में उन्होंने 10 नाली भूमि पर कवि का बगीचा तैयार कर दिखाया कुछ ही समय में यह बगीचा की वीक के फलों से भर गया चलिए जानते हैं कैसे।

बातचीत के दौरान देवेंद्र कुमार

बातचीत के दौरान देवेंद्र कुमार ने बताया कि वह जवाहर लाल नेहरू इंटर कॉलेज सम में रायसेन विज्ञान मैं पढ़ते थे करीब 6 साल पहले उन्होंने कवि का उत्पादन का प्रतिक्षण लिया था पहले साल उन्होंने पांच कवि के पौधे शौकीन तौर पर लगाए थे लेकिन धीरे-धीरे होने की कवि के पौधे में लगाने की रुचि बहुत ही ज्यादा बढ़ने लगी और उनसे उन्हें पेड़ों से काफी ज्यादा प्रॉफिट भी मिलने लगा फिर अगले साल उन्होंने 25 कवि के पौधे लगाए इसके बगीचे में कवि के पौधे उगते देखो उद्यान विभाग ने उनसे संपर्क किया और बताया कि आपके यहां कवि के पेड़ अच्छी तरह से बढ़ रहे हैं आप और अधिक कवि के पेड़ लगा लीजिए ऐसा करके उन्होंने बताया उसके बाद नको उद्यान विभाग सब्सिडी पर उपलब्ध कारण पौधे उन्हें कहा गया कि घंटा के प्रभावी उद्यान अधिकारी कुलदीप जोशी ने उन्हें सलाह दी कि आप अधिक मात्रा में किसी के पौधे लगाओ और विभाग आपको मदद करेगाऔर अच्छा खासा प्रॉफिट भी दिलाएगा जिस कारण वह कवि के और भी ज्यादा अधिक से अधिक पेड़ लगाने लगे चलिए जानते हैं आगे की कहानी क्या है।

जैसा कि फिर आपको बता दे देवेंद्र कुमार को जो सब्सिडी मिलने लगी तो उनका धीरे-धीरे कारोबार और बढ़ता ही गया और उसके बाद काफी ज्यादा उनके पास एक अच्छा मोटा प्रॉफिट भी इकट्ठा हो गया आसिफ इसलिए सब्सिडी पर कवि के पौधे उपलब्ध कारण वर्तमान में उन्होंने 10 नाली भूमि में कवि का सफल बगीचा तैयार कर लिया कवि के बगीचे को उन्होंने अपनी पत्नी के नाम पर रखा बगीचे में कवि का फल निकल चुका है जल्दी यह कवि के फल आने के लिए तैयार हो जाएंगे जो कि बाद में उन्होंने कवि के पौधे फिर से जो लगाए थे और कहा कि वह अपने नियमित शिक्षक कार्य से समय निकालकर इस बगीचे पर भी प्रबंध कर रहे हैं उनका यह कदम रोजगार को बढ़ावा देने और कृषि के क्षेत्र के नए अवसर तलाश में की दिशा का परीक्षण साबित हो रहा है जिससे उन्हें देखकर कई लोग और भी ज्यादा उसकी भी के पेड़ को लगाकर और अपना रोजगार चला रहे हैं।

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