पानी से पैसा छाप रहे लोग, जानिये बिना मिट्टी-जमीन के कैसे होती है हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग।
मिट्टी-जमीन के कैसे होती है हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग
बिना मिट्टी और जमीन के खेती आप सोच रहे होंगे कि यह तो पॉसिबल ही नहीं है पर आज की जनरेशन में यह पॉसिबल है कि बिना जमीन और बिना मिट्टी के खेती की जा सकती है आजकल ज्यादातर लोग खेती की ओर जा रहे हैं नौकरी की समस्या के कारण और आपको बताते नौकरी से ज्यादा कमाई खेती में ही है और लेकिन अगर आपके पास जमीन नहीं है तो भी खेती कर सकते हैं क्योंकि हाइड्रोपोनिक्स खेती में जमीन की आवश्यकता नहीं होती है फिर भी इसमें लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं तो चलिए सबसे पहले जानते कि हाइड्रोपोनिक्स से खेती आखिर होती क्या है इसके बारे में जानना है बहुत जरूरी है उसके बाद ही अपने इसकी खेती कर पाएंगे चलिए जानते हैं कि क्या होता है हाइड्रोपोनिक्स खेती।
हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग
जैसा कि आपको बता दे हाइड्रोपोनिक्स खेती वह खेती होती है जो पानी की मदद से की जाती है आप सोच कर हैरान हो रहे होंगे से पानी पानी से खेती कैसे की जाती पर यह सही बात है कि पानी से भी खेती की जा सकती है इसमें मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती मिट्टी के स्थान पर आप चाहे तो बालू या कंकर का इस्तेमाल कर सकते हैं इस खेती में एक फायदा यह है कि इस पर मौसम का कोई असर नहीं होता है और कोई भी मौसम में कोई भी सब्जी आप उगा सकते हैं या फल हो आप एक हिसाब से जलवायु का नियंत्रण कर सकते हैं और इस खेती को गांव या शहर कहीं पर भी कर सकते हैं और इसमें सबसे पसंद के अनुसार फसल की किस्म की खेती को होगा सकते हैं चलिए जानते हैं कि हाइड्रोपोनिक्स खेती कैसे की जाती है।

यह भी पढ़े काले सोने की खेती बना देगी राजा, बस शुरू कीजिये इस फसल की खेती, जाने इस काले सोने का नाम
हाइड्रोपोनिक्स फार्मिंग की लागत
जिसमें बिना मिट्टी के और जमीन के खेती की जाती है। लेकिन इसमें भी आप अपने हिसाब से छोटे या बड़े स्तर पर हाइड्रोपोनिक खेती कर सकते हैं। जिसमें कम लागत की बात करें तो 10 से 15000 और बड़े पैमाने में 20 लाख प्रति बीघा के अनुसार से खर्चा आ जाता है। लेकिन यह खर्चा एक बार का है आगे चलकर खर्चा इतना नहीं रहता है। इस तरह जिन्हे खेती का जूनून है लेकिन जमीन नहीं है तो उन्हें लिए ये अच्छा ऑप्शन है। इसमें कुछ कंपनिया भी आगे बढ़कर मदद कर रही है। जिनकी मदद से लोग फॉर्म खड़ा कर रहे है। इस खेती में समय की भी बचत होगी। साथ ही मशीनों का भी खर्चा बच जायेगा।
यह भी पढ़े जवानी की चाबी ये अनोखा फल, भरा हुआ है कई पोषक तत्व से, किसान आजमा रहे है अपना हाथ इस फल की खेती पर