सरसों को दी टक्कर इस बीज के तेल ने, किसान की बदल रही है किस्मत इस तेज की वजह से, जाने ऐसा कौनसा बीज का तेल है।
हेलो दोस्तों आज आपके लिए फिर से एक बार बहुत ही तगड़ी फसल लेकर आए हैं जो एक ऐसी फसल है जिसमें सरसों को भी दे दी है टक्कर वह भी इस बीच के तेल ने आप सोच कर हैरान हो रहे होंगे कि ऐसा कौन सा बीज है जी बी ने सरसों जैसे पौधे को दे दी टक्कर आपको बता दें कि इस बीच का नाम कुसुम की खेती की बात कर रहे हैं कुसुम के बीच से काफी तेल निकलता है जो की उच्च गुणवत्ता का तेल प्राप्त होता है जो की कुसुम के फूल की प्राकृतिक रंग भी निकाला जाता है जो कपड़ो को रंगने और विभिन्न और औद्योगिक उपयोगी का काम करता है चलिए जानते हैं इस कुसुम की खेती कैसे की जाती है।
कुसुम की खेती
कुसुम की खेती शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में अच्छी होती है। यह ठंडी और शुष्क जलवायु को पसंद करती है।20°C से 30°C के बीच का तापमान इसके लिए उपयुक्त होता है। कुसुम की फसल के लिए कम वर्षा की आवश्यकता होती है। प्रति वर्ष 50-75 सेंटीमीटर की वर्षा पर्याप्त होती है। कुसुम की खेती के लिए हल्की दोमट या मध्यम काली मिट्टी सर्वोत्तम होती है। भूमि को अच्छे से जोतना चाहिए और उसमें उचित मात्रा में जैविक खाद डालनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। कुसुम की बुवाई का समय अक्टूबर-नवंबर का महीना होता है। बुवाई के लिए 2-3 सेमी की गहराई पर बीज बोएं। प्रति हेक्टेयर 10-12 किलोग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। कुसुम की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन फसल की सिंचाई की जानी चाहिए। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। उसके कुछ समय बाद करीबन कुसुम के फूल 120-140 दिनों में पककर तैयार हो जाते हैं।
कुसुम के तेल के फायदे
कुसुम के तेल में असंतृप्त फैटी एसिड होते हैं, विशेषकर ओमेगा-6 फैटी एसिड (लिनोलेइक एसिड), जो हृदय की सेहत के लिए लाभकारी होते हैं। यह तेल शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) के स्तर को बनाए रखता है, जिससे दिल के रोगों का खतरा कम होता है। कुसुम का तेल मेटाबॉलिज्म को तेज करने में मदद करता है, जिससे शरीर में वसा का जमाव कम होता है। यह शरीर में वसा के स्तर को नियंत्रित कर सकता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है, खासकर पेट के आसपास की चर्बी को कम करने में।
आमदनी और निवेश
जैसा कि आपको बता दे कुसुम की खेती में जो निवेश आता है वह खर्च प्रति हेक्टर 2000 से₹3000 आता है उसके बाद आपका जो मिट्टी को तैयार करने के लिए जुटाए और समतल करना और जैविक खाद का उपयोग करना जरूरी रहता है तो जिसमें उसका खर्चा ₹4000 का आता है तो आराम से आपका ₹25 हजार रूपये में आपकी इस 1 एकड़ में कुसुम की खेती हो जाएगी और जैसा कि आपको बता दें कि मुनाफे की बात की जाए तो मुनाफा आपका काफी अच्छा तगड़ा मुनाफा होता है कुल आमदनी आपकी 40 से 75 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर होगी तो चलिए शुरू कीजिए कुसुम की खेती जिससे आप काफी अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।