सबौर मंसूरी धान: कम लागत और ज्यादा प्रॉफिट, किसान भी अपना रहे है इस फसल को भर रहा है ATM, पढ़िए डिटेल में

By Soumya thakur

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सबौर मंसूरी धान: कम लागत और ज्यादा प्रॉफिट, किसान भी अपना रहे है इस फसल को भर रहा है ATM, पढ़िए डिटेल में

सबौर मंसूरी धान: कम लागत और ज्यादा प्रॉफिट, किसान भी अपना रहे है इस फसल को भर रहा है ATM, पढ़िए डिटेल में।

हेलो दोस्तों आज आपके लिए बहुत ही तगड़ी फसल लेकर आये है जिससे आपको काफी अच्छा खासा प्रॉफिट देखने को मलेगा। आज जिस धान की बात कर रहे है। सबौर मंसूरी धान एक नई धान की किस्म है जिसे विशेष रूप से कम खर्च, कम खाद, और कम पानी के साथ अधिक उपज देने के लिए विकसित किया गया है। किसान अगर इस फसल की खेती करते है तो आपको कई गुना मुनाफा देखने को मिलेगा जानिए कैसे की जाती है इस धान की खेती।

सबौर मंसूरी धान की विशेषताएँन

कम पानी की आवश्यकता सबौर मंसूरी धान की किस्म को विकसित करते समय इसे कम पानी की आवश्यकता के अनुसार तैयार किया गया है। इसके चलते यह उन क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ सिंचाई की सुविधा सीमित होती है।

कम लागत में खेती इस धान की खेती में अधिक खर्च नहीं आता है। इसकी पैदावार के लिए कम मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है, जिससे किसान अपनी लागत को कम रख सकते हैं।

अधिक उपज यह धान की किस्म पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उपज देती है। इसलिए कम संसाधनों का उपयोग करके किसान अपनी पैदावार बढ़ा सकते हैं।

खराब मिट्टी में उपज यह किस्म खराब या कम उपजाऊ मिट्टी में भी अच्छा प्रदर्शन करती है, जिससे यह उन क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहाँ मिट्टी की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती।

जलवायु अनुकूलता यह धान की किस्म विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाई जा सकती है, जिससे यह एक बहुपयोगी फसल बन जाती है।

सबौर मंसूरी धान की खेती कैसे की जाती है

सबौर मंसूरी धान की खेती एक खास प्रक्रिया के तहत की जाती है, जिसमें भूमि की तैयारी से लेकर फसल की कटाई तक कई चरण शामिल होते हैं। इसे उगाने की विधि इस प्रकार है।

भूमि की तैयारी:

  • मिट्टी की जुताई: सबौर मंसूरी धान के लिए मिट्टी की जुताई अच्छी तरह से करनी होती है ताकि मिट्टी में वायु का संचार हो सके। इसे 2-3 बार जुताई कर के समतल कर लेना चाहिए।
  • जल निकासी व्यवस्था: खेत में जल निकासी का ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि धान के पौधे खड़े पानी में अच्छे से बढ़ते हैं लेकिन जलभराव से बचाव भी जरूरी है।
  • उर्वरक का प्रयोग: खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए जैविक खाद, गोबर खाद या रासायनिक उर्वरकों (NPK उर्वरक) का इस्तेमाल किया जाता है। बुवाई से पहले खेत में फॉस्फोरस और पोटाश जैसे उर्वरक मिलाने से पौधे को अच्छी शुरुआत मिलती है।

बीज की तैयारी:

  • बीज शोधन: बुवाई से पहले बीजों को शोधन करना आवश्यक है ताकि बीमारियों और कीटों से बचाव हो सके। इसके लिए बीजों को फफूंदनाशक या अन्य रासायनिक दवाओं से उपचारित किया जा सकता है।
  • बीज की बुवाई: सबौर मंसूरी धान के बीज को पहले नर्सरी में बोया जाता है। 25-30 दिनों तक नर्सरी में बीज को पानी और उर्वरक देकर पौधे तैयार किए जाते हैं।

पौधों की रोपाई:

  • खेत में पानी भरना: खेत में 5-7 सेमी गहरा पानी भरने के बाद पौधों की रोपाई की जाती है। यह प्रक्रिया वर्षा के बाद या सिंचाई के माध्यम से की जाती है।
  • पौधों की दूरी: पौधों को 20-25 सेमी की दूरी पर लगाना चाहिए ताकि उन्हें पर्याप्त स्थान मिल सके और फसल अच्छी तरह बढ़ सके। इससे पौधों के बीच में हवा और धूप का सही संचार होता है।

सिंचाई:

  • धान की खेती में जल का विशेष महत्व होता है। सबौर मंसूरी धान के पौधों को अच्छी बढ़ोतरी के लिए निरंतर सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर रोपाई के बाद 2-3 सप्ताह तक।
  • फसल को 2-3 इंच पानी की परत में रखा जाता है। परंतु कटाई से लगभग 10-15 दिन पहले खेत से पानी निकाल देना चाहिए ताकि अनाज पक सके।

फसल की कटाई

  • धान की फसल 120-130 दिनों में तैयार हो जाती है। जब पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और अनाज पक जाता है, तब कटाई की जाती है।
  • कटाई के बाद धान की बालियों को धूप में सुखाया जाता है, जिससे अनाज में नमी की मात्रा कम हो जाए।

कमाई कितनी होगी सबौर मंसूरी धान

इस फसल की खेती कर किसान बन रहे है आमिर जैसा की आपको बता दे की कई किसान ऐसे है जो की इस अन्य फसल को छोड़ कर इस फसल को अपनाया है आपको बता दे की सबौर मंसूरी धान की खेती से होने वाली कमाई कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे भूमि का आकार, उत्पादन क्षमता, बाजार मूल्य, खेती में उपयोग की गई तकनीक और संसाधनों की लागत। फिर भी, सामान्य रूप से एक औसत किसान की कमाई का आकलन निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर किया जा सकता है। सबौर मंसूरी धान की कीमत बाजार में सामान्य धान की तुलना में अधिक होती है, क्योंकि इसके दाने की गुणवत्ता और सुगंध बेहतर होती है। इसकी औसत कीमत बाजार में ₹1800 से ₹2500 प्रति क्विंटल तक हो सकती है। कभी-कभी यह ₹3000 प्रति क्विंटल तक भी पहुँच सकती है, खासकर यदि गुणवत्ता उच्च हो और मांग ज्यादा हो।अगर एक एकड़ में 25 क्विंटल धान का उत्पादन होता है, और बाजार मूल्य ₹2000 प्रति क्विंटल है, तो कुल कमाई लगभग ₹50,000 होगी। इस फसल की खेती आप महीने का करीबन 50 से 60 हजार रूपये तक की कमाई कर सकते है।

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