Black Potato: देश भर में जाना-माना ये आलू, सफ़ेद आलू को दी टक्कर, कमाई के मामले में सबसे आगे, जानिए पूरी जानकारी।
हेलो दोस्तों आज आपके लिए बहुत ही तगड़ी चीज लेकर आये है जिसका नाम काला आलू, जिसे बैंगनी आलू या “ब्लैक पोटैटो” भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार का आलू होता है जिसकी त्वचा और अंदरूनी हिस्सा बैंगनी या काला होता है। यह आलू पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। काले आलू के मुख्य फायदे इस प्रकार हैं।
एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर
काले आलू में एंथोसाइनिन नामक एंटीऑक्सिडेंट होता है, जो इसे इसका काला रंग देता है। एंथोसाइनिन शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करता है और कोशिकाओं की क्षति को कम करता है।
हृदय स्वास्थ्य में सुधार
काले आलू में पोटेशियम की अधिकता होती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह दिल की धड़कन को संतुलित रखता है और हृदय रोगों के खतरे को कम करता है।
रक्त शर्करा को नियंत्रित करना
काले आलू में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिसका मतलब है कि यह रक्त में शर्करा का स्तर तेजी से नहीं बढ़ाता। इससे यह डायबिटीज़ के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है।
काला आलू की खेती
काला आलू (Black Potato) की खेती भारत में हाल के वर्षों में लोकप्रिय होती जा रही है। यह विशेष प्रकार का आलू होता है, जिसका बाहरी छिलका काला और भीतर का भाग हल्का नीला या बैंगनी होता है। इसके रंग का कारण इसमें पाए जाने वाले एंथोसायनिन नामक पिगमेंट होते हैं, जो इसे पोषण के दृष्टिकोण से भी मूल्यवान बनाते हैं। इसकी खेती सामान्य आलू की तुलना में कुछ अलग तरीकों की मांग करती है।
काला आलू की खेती के लिए आवश्यकताएं
- जलवायु
काला आलू ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु में अच्छा परिणाम देता है। इसे उगाने के लिए 15°C से 20°C के बीच तापमान सबसे अच्छा माना जाता है। बहुत अधिक गर्मी या ठंड इसे प्रभावित कर सकती है। - मिट्टी
आलू की खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, मिट्टी का पीएच स्तर 5.0 से 6.5 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी फसल के लिए आवश्यक होती है। - बीज का चयन
काला आलू की फसल के लिए उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीजों का चयन करना आवश्यक है। बीज आलू का वजन लगभग 35-50 ग्राम होना चाहिए और इसे काटने से पहले 3-4 दिन तक धूप में सुखाया जाता है। - बुवाई का समय
काला आलू की बुवाई अक्टूबर-नवंबर के महीने में की जाती है। बुवाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस क्षेत्र में खेती कर रहे हैं। ठंडी जगहों पर अप्रैल-मई में भी बुवाई की जा सकती है। - खाद और उर्वरक
जैविक खाद जैसे कि गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, पोटाश और फॉस्फोरस की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होती है, जिससे कंदों का विकास सही तरीके से हो सके। - सिंचाई
फसल की सिंचाई नियमित रूप से करनी चाहिए, खासकर फसल की प्रारंभिक अवस्था में। पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद और दूसरी सिंचाई 20-25 दिन बाद करनी चाहिए। मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई आवश्यक होती है, लेकिन अत्यधिक जलभराव से बचना चाहिए। - रोग और कीट नियंत्रण
काला आलू भी अन्य आलू की तरह कुछ सामान्य रोगों से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि फफूंद रोग, ब्लाइट आदि। इसके लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है। - खुदाई और उत्पादन
काला आलू की खुदाई बुवाई के 90-120 दिन बाद की जाती है। फसल पकने पर पौधे की पत्तियां पीली हो जाती हैं और सूखने लगती हैं। उस समय फसल को निकालना चाहिए।
कमाई कितनी होगी
काला आलू की खेती से कमाई की बात की जाये तो आपको बम्फर मुनाफा होगा। काला आलू की खेती से कमाई कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि आपके क्षेत्र का आकार, उत्पादन की मात्रा, बाजार मूल्य, और खेती में आपके द्वारा किए गए निवेश। हालांकि, काला आलू सामान्य आलू की तुलना में अधिक लाभकारी माना जाता है क्योंकि यह एक विशेष और स्वास्थ्यवर्धक फसल है, जिसकी बाजार में मांग अधिक है। मान लीजिए आप 1 एकड़ जमीन पर काला आलू की खेती कर रहे हैं। बीज की लागत काला आलू के बीज की कीमत सामान्य आलू से थोड़ी अधिक होती है। 1 एकड़ में लगभग 8-10 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। प्रति क्विंटल बीज की कीमत लगभग ₹50-70 प्रति किलोग्राम के आसपास हो सकती है। बीज की कुल लागत लगभग ₹40,000 से ₹60,000 के बीच होगी।